बुधवार, 3 अक्टूबर 2007

क्या है पैसा.........

पैसा बोलता है.........पैसा कुछ नहीं ......पैसा सबकुछ है............... पैसा हिं सब कुछ नहीं है....... ना जाने कितनी बाते पैसा के बारे में बोला जाता है। जितने मुँह उतनी बात। रात बीत चुकी है, सुबह के चार बजे हैं अचानक हमें आज "पैसा" पे कलम चलने को जी करने लगा । लाख चाहने पे भी हम् अपने आप को नहीं रोक पाए , आखिर क्या है पैसा? मनुष्य की सबके बरी आवश्यकता वा हथियार। भागवत गीता में श्री कृष्ण ने कहा है की....अधमा धन इछंती, मध्यमा भोजन ,आवश, उत्तमा मोक्ष् इछंती ...........अर्थात अधम पुरुष धन की ईच्छा करते हैं। मध्यम पुरुष भोजन और आवास.......इन सभी से परे मानव जो उत्तम पुरुष कहलाने की लायक हैं वो धन की इच्छा कतई नहीं करते।उनके लिए तो मोक्ष् हिं सबसे बरा धन है। मोक्ष् से बढकर कुछ भी नहीं। हमारे यहाँ गीता को उच्चतम श्रेणी में रखा गया है. हम् इसे माने तो विश्व के अन्दर हमें कितने उत्तम पुरुष मिलेंगे ? हमें इस का जबाब नहीं मिलता, हो सके तो आप देदें. क्या मानवता से बढकर पैसा हैं, तो क्या झूठ है की पैसा है तभी हम् मानवता निभा सकते है। कीसी की मदद बिना पैसा के नहीं हो सकता क्या ? कभी-२ तो लगता है की पैसा मनुष्य की वो परछाई है जो जन्म से मृत्यु तक साथ-२ चलता रहता है. क्या मृत्यु के पश्चात ये मानव का दमन छोर देता है? हमें तो लगता है वो मृत्यु के पश्चात भी पीछा नहीं छोरता. एक कटु सत्य तो ये भी है की पैसा है तो हिं उसकी मृत्यु दिवस मनाई जा सकती है...
हमें आज भी वो दिन यद् है जब हमने इंग्लिश स्पीच में माला सिन्हा को मात दी थी। विषय था "पैसा ही सबकुछ हैं"और "पैसा हिं सब कुछ नहीं", हमने पैसा ही सब कुछ नहीं पे स्पीच दिया था। और अपने प्रतिव्द्न्दी को मात भी दी थी, वो इक भारतीय महिला थी , उसे हम् ने सिर्फ एक हिं सवाल किया था वो था की....... मन लो तुम्हारा पती बहुत हिं बरा धनवान व्यक्ति है वो तुम्हे सारी सुख-सुबिधा देता है । खर्च करने के मामले में कभी नहीं टोकता यहाँ तक की वो अपनी सम्पत्ति का अधिकांश भाग तुम्हारे नाम कर देता है किन्तु वो प्यार किसी दुसरी महिला से करता है वह अपनी सारी रात उसी महिला के साथ बिताता है, इस के बाबजूद भी वो "पैसा" के मामले में तुम्हे प्रथम स्थान का हिं दर्जा देता है,क्या तुम खुश रहोगी......तुम्हे कोई सिक्वा-गिला अपने पति से नहीं होगा? अगर होगा तो क्यों, क्यों की तुम्ही ने "पैसा हिं सब कुछ है" को चुना है।पैसा से तुम दुनयां की तमाम वस्तु ख़रीद सकती हो। हमें वो पल अभी भी अछि तरीके याद है वह रो परी थी और बहुत हिं भावुक हो कर कही थी की मैं तुम से सहमत हूँ "पैसा हिं सबकुछ नहीं"ये उसकी हर और हमारी जित थी, क्या आप को नहीं लगता की हम् ने उसके साथ धोखा किया? क्यों की कुछ ऐसी बातें हैं जहाँ पैसा को तब्ब्जो नहीं दी जाती । खास कर माँ, बाप, भाई, बहन,बेटा बेटी, पति-पत्नी जैसे रिश्तों-नाते में। रिश्तों-नाते और अपनों के बिच पैसा का कोई अस्तित्त्व हिं नहीं है। अगर ये सही है तो यहाँ पे हम् एक बात और कहनाचाहुंगा वो ये की क्या आपने कभी नहीं देखा वा सुना की पत्नी ने पति की हत्या पैसे के खातिर की है? बेटा ने बाप का, भाई ने बहन का। क्या पैसों के खातिर रिश्तों-नातो की सफेद चादर पे खूण के छीटे नहीं परे ? हमें लगता है हम् इस हक़ीकत से भी मुँह नहीं मोर सकते।
"पैसा" इक अनसुलझी गुथी......जिसे हमने आईने के सामने लेन की कोशिस तो की, किन्तु इसका असली रूप न देख सका। हमने जितना हिं इसे सुलझाने की चेष्टा की, हमें लगा की ये उतना हिं उलझता जा रहा है। हम् और आप जिस सदी में जी रहें हैं उसमे कौन हैं उत्तम पुरुष ? यहाँ पे हम् किसी खास महात्माओं, पत्रकारों, वा व्यवसाइयों का नाम नहीं लेना चाहूँगा न हिं उनपे कोई बहस करना, सचाई क्या है वो आप-हम् भलीभांति जानते हैं. कोन हैं उतम पुरुष?, अगर हैं तो क्या वो धन की लालसा नहीं रखते हैं? क्या आप निर्धन व्यक्ति को उतम पुरुष के श्रेणी में रखते हैं? हमें अफ्सोश हैं की हम् चाह कर भी "पैसा" को शीशे में नहीं उतार सका, हाँ अगर आपने "पैसा" का असली रूप देखा है तो हमें जरुर दर्शन कराएँ. क्यों की हम् भी देखना चाहते हैं, क्या है पैसा?